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दिव्यांगों की पेंशन कटौती के लिए सरकार की आलोचना ... ।

Government criticized for cutting pension of disabled people

Government criticized for cutting pension of disabled people

( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )

ताडेपल्ली : Government criticized for cutting pension of disabled people: (आंध्र प्रदेश) वाईएसआर पार्टी केविधानसभा परिषद सदस्य और केंद्रीय कार्यालय प्रभारी लेल्ला अप्पीरेड्डी ने दिव्यांगों की पेंशन में कटौती करके उनके साथ अमानवीय व्यवहार करने के लिए गठबंधन सरकार की कड़ी निंदा की। 

पिछले कल एक परिवारआंध्र प्रदेश के रहने वालेमूल निवासीपति-पत्नी दोनों आंखों से अंधे थे जिनके पेंशन रोकने की वजह से यह दोनों पति-पत्नीजीविकोपार्जन हम कैसे करेंएक प्रतिष्ठितघराने से किसी जमाने में थे इनकी आर्थिक स्थिति सिर्फ पेंशन से ही जीविकोपार्जन था कोई संपत्ति नहीं था जब इनको बताया गयालाखों लोगों के साथ आपका भी पेंशन रोक दिया गया इसे कैसे जिए कैसे जीव को उपार्जन चलेगा यहसोचकर पिछलेपरसों रात को भोजन मेंजहर मिलाकरदोनों ने खा लिया और मर गए जिस स्थिति को देखते हुएगठबंधन सरकार नेचुनावी घोषणा को अमल करने के लिए हर योजना में 20 से 25 लाख लोगों की कटौती कियाअनेक कारणकारण नहीं बनने के बाद भी कारण बात कर उन्हें वंचित किया गया इसके पूरे राज्य में भयानक विपरीतआंदोलन की स्थिति आ गईउसके ऊपर आज वाईएसआर पार्टी की कार्यालय में बैठक हुईऔर प्रेस वार्ता को जैसे बताया ...

      ताडेपल्ली स्थित पार्टी कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार दिव्यांगों के दर्द को न समझकर और उनके जीवन के साथ राजनीति करके "मानसिक विकलांगता" जैसा व्यवहार कर रही है।
अप्पी रेड्डी ने कहा कि लाखों पेंशन पहले ही काटी जा चुकी हैं, जिनमें लगभग एक लाख दिव्यांगों की पेंशन भी शामिल है। उन्होंने बताया कि नोटिस मिलने के बाद कई लोग आत्महत्या करने को मजबूर हुए और आत्महत्या का प्रयास भी किया, लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई। उन्होंने गरीबों को मामूली पेंशन देने से इनकार करते हुए विलासिता पर करोड़ों खर्च करने के लिए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण और मंत्री नारा लोकेश की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पेंशन लोगों का अधिकार है, चंद्रबाबू की जेब का पैसा नहीं।
 उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी डॉक्टरों ने पहले खुद ही विकलांगों की पात्रता प्रमाणित की थी, और अब राजनीतिक दबाव में वे लाभार्थियों को अयोग्य ठहराने के लिए विकलांगता प्रतिशत कम कर रहे हैं। उन्होंने संकट के कारण पेंशनभोगियों की मौतों को "सरकारी हत्या" बताया और कई ऐसे मामलों का हवाला दिया जहाँ पेंशन खोने के बाद विकलांग व्यक्तियों की मृत्यु हो गई या उन्होंने आत्महत्या कर ली।
उन्होंने आश्वासन दिया कि वाईएसआरसीपी विकलांगों के लिए लड़ाई जारी रखेगी और सरकार को चेतावनी दी कि 1 सितंबर से किसी भी पात्र पेंशन को न हटाया जाए।
उन्होंने विकलांग व्यक्तियों से आत्महत्या न करने की अपील की और वादा किया कि जब तक सभी पेंशन बहाल नहीं हो जातीं, पार्टी उनके साथ मजबूती से खड़ी रहेगी।